Wednesday, July 29, 2009

दील, दोस्ती, और धुंवा ||||||||||||||||||



यारों ये दील भी न अजीब छीज है||||||

साला कभी तो हँसता है और कभी रुलाता है। ऐसे में होते है कुछ लोग अक्सर साथ देते हैं और वो ही हमारे जीवनसाथी बन जाते है। कैसे भूले उन लम्हो को जो कभी हमें हँसाते थे और आज वही हमें रुला जाते है। और क्या कहें उन् लोगो को ................

वैसे तो दोस्त हमारे सबसे करीबी होते हैं पर कभी-२ वो भी। वैसे मेरे जो दोस्त ऐसा कुछ करते है उन्होंने तो आपको कभी दोस्त माना ही नही था।

अब रही बात धुवे की तो कहते है एक सिगरेट एक दिन कम करती है हमारी जिंदगी में से। पर कमसेकम साली कभी रुलाती तो नही न।|||||||||||||||||||||

1 comment:

  1. Hello
    Sir

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    Regard
    sushil Gangwar
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